Hindi Poem: घड़ी दो घड़ी ठहर के जाइए...


㇐㇣㇐

घड़ी दो घड़ी ठहर के जाइए,
आज तो दिल को भर के जाइए।

अब अंधेरों से लड़ा नहीं जाता,
मेरी रातों में चांद कर के जाइए।

ये उदासियां नहीं जमती तुम पर,
मुस्कुराहटों से संवर के जाइए।

मुहब्ब्त में जो कभी किए नहीं,
उन वादों से ना मुकर के जाइए।

अजी नहीं जी पाओगे हमारे बगैर,
ऐसे खयालातों से डर के जाइए।

खोये हुए ख़्वाबों का कारवां मिलेगा,
दिल की गली से गुज़र के जाइए।


㇐㇣㇐

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*Image source: Google (A still from the movie 'Hum Dono', 1961)

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