㇐㇣㇐
घड़ी दो घड़ी ठहर के जाइए,
आज तो दिल को भर के जाइए।
अब अंधेरों से लड़ा नहीं जाता,
मेरी रातों में चांद कर के जाइए।
ये उदासियां नहीं जमती तुम पर,
मुस्कुराहटों से संवर के जाइए।
मुहब्ब्त में जो कभी किए नहीं,
उन वादों से ना मुकर के जाइए।
अजी नहीं जी पाओगे हमारे बगैर,
ऐसे खयालातों से डर के जाइए।
खोये हुए ख़्वाबों का कारवां मिलेगा,
दिल की गली से गुज़र के जाइए।
㇐㇣㇐
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*Image source: Google (A still from the movie 'Hum Dono', 1961)
nice poem ..bahot khub
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👍
DeleteNyc bhaiya
ReplyDeleteSuper sir
ReplyDeleteशुक्रिया दोस्त!
ReplyDeleteवाह !!!! लाजवाब सर जोरदार। गजब लिखा आपने।
ReplyDeleteकुलदीप भाटी
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